बाइक पर निकलीं एजेंसी की टीमें, जाे दिखा उसे गिना और हाे गया आवारा कुत्तों का सर्वे

शहर की अधिकांश कॉलोनियों में आवारा कुत्ते रहवासियों के लिए बड़ी समस्या है, लेकिन निगम अफसर सिर्फ औपचारिकता ही पूरी कर रहे हैं। सर्वे के दौरान टीम दाेपहिया वाहन से गलियाें का भ्रमण करती हैं। वे नजर आने वाले कुत्ताें की संख्या अपनी शीट पर दर्ज करते हैं। एजेंसी का फरवरी में शुरू हुआ सर्वे अभी तक पूरा नहीं हुआ है।


घटना: जिसमें एक बच्ची को कुत्तों को नोच खाया था


10 मई 2019... अवधपुरी का शिव संगम नगर... घर के बाहर खेल रहे छह साल के संजू पर आवारा कुत्ताें ने हमला किया। बेटे काे बचाने मां दाैड़कर पहुंची, लेकिन तब तक कुत्ते उसे बुरी तरह से नाैंच चुके थे। परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डाॅक्टराें ने उसे मृत घाेषित कर दिया था। गर्मी के दिनाें में अावारा कुत्ताें के हमलाें के मामलाें में 40 प्रतिशत तक इजाफा हाे जाता है। अभी राेजाना डाॅग बाइटिंग के करीब 70 मामले आ रहे हैं, जबकि गर्मी के दिनाें में यह संख्या 100 के पार पहुंच जाती है। इस स्थिति काे काबू करने के लिए ननि शहर में आवारा कुत्ताें का सर्वे करा रहा है, लेकिन हर बार सर्वे के नाम पर खानापूर्ति ही की जा रही है। जबकि, सर्वे के दाैरान अाने वाली अावारा कुत्ताें की संख्या के आधार पर ही निगम कुत्ताें काे व्यवस्थित करने की याेजना बनाएगा।


भराेसे लायक नहीं हाेगा सर्वे


निगम ने करीब 4 महीने पहले प्राइवेट एजेंसी से सर्वे कराने की बात कही थी, फिर टेंडर प्रक्रिया से एजेंसी का चयन किया। सर्वे का जिम्मा केनल क्लब अाॅफ भाेपाल काे दिया है। निगम अधिकारियाें की मानें ताे एजेंसी ने आवारा कुत्ताें की गिनती करने के लिए छह टीमें तैनात की हैं। फरवरी में शुरू हुअा सर्वे अभी तक अधूरा है।


90 हजार के आसपास आ सकती संख्या निगम अधिकारियाें की मानें ताे अब तक 50 प्रतिशत सर्वे हाे चुका है। एक वार्ड में 750 से 1300 तक आवारा कुत्ते मिल रहे हैं। औसतन देखा जाए ताे 1100 कुत्ते प्रति वार्ड संख्या आने का अनुमान है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि सर्वे में कुत्ताें की संख्या 90 हजार से एक लाख के बीच आ सकती है।


रहवासियों की मदद से सर्वे कराते तो पता चलती सही संख्या


ज्वाइंट डायरेक्टर, पशुपालन विभाग  के मुताबिक, कुत्ताें का सर्वे भी जनगणना और पेड़ाें की गणना के आधार पर ही किया जाना चाहिए। दाेपहिया वाहन पर घूमकर सर्वे पूरी तरह से अनसाइंटिफिक है। इससे अच्छा हाेता कि पूरी प्लानिंग के साथ समय लेते हुए रहवासियाें की मदद से सर्वे कराया जाता तब सही संख्या अा सकती थी। एक महीने में किसी भी शहर में अावारा कुत्ताें का सर्वे संभव नहीं है, इस प्रकार अनुमानित संख्या ही सामने अाएगी।  -डाॅ. एसएन निगम,